भ्रष्टाचार की नींव पर बन रही थी पानी की टंकी, जल निगम के एक्सईएन व एई निलंबित, जेई बर्खास्त
रिपोर्ट: हरिश्याम बाजपेयी
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लखनऊ। नागार्जुन कंट्रक्शन कंपनी (एनसीसी) को उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार की छूट देने के परिणाम सामने आ रहे है। सीतापुर में जहाँ पानी की टंकी ने ट्रायल में ही धराशायी होकर एजेंसी के कारनामें की पोल खोल दी वहीं विद्युत विभाग की रिवेम्प योजना भी इस एजेंसी को डिफॉल्टर घोषित करने के लिए बार बार फाल्ट कर रही है। आपको बता दें कि पूरे राज्य में विद्युतीकरण का कार्य भी मानकों को ताक पर रखकर हैदराबाद की एनसीसी को ही दिया गया है। रिवेम्प योजना में घटिया क्वालिटी के विद्युत केबल इस कंपनी की करतूत को बयां ही कर रहे थे, जिस पर विभागीय अधिकारी पर्दा भी डाल रहे हैं, कि इसी बीच सीतापुर जिले के विकास खंड महोली के गांव ककरहिया में गिरी पानी की टंकी ने एनसीसी के भ्रष्टाचार की सारी परतें खोल दी हैं।
हालांकि मामले में शासन स्तर से जल निगम के अधिकारियों पर तो बड़ी कार्रवाई हुई, विभाग के जेई को जहां बर्खास्त कर दिया गया है वहीं सहायक अभियंता को निलंबित कर दिया गया है जबकि इससे पूर्व में अधिशाषी अभियंता को निलंबित किया जा चुका है। सवाल ये उठता है कि सरकारी अधिकारियों पर बिना जाँच जिस तत्परता से कार्यवाही हुई तो निर्माण एजेंसी पर क्यों नहीं? हैदराबाद की उस एजेंसी को ब्लैकलिस्ट क्यों नहीं किया गया जिसके भ्रष्टाचार की नींव पर टंकी का निर्माण हुआ था?
दरअसल जल जीवन मिशन योजना के तहत ककरहिया गांव में 53 लाख से पानी की 225 केएल टंकी का निर्माण कार्य हुआ था। यह कार्य हैदराबाद की नागार्जुन कंट्रक्शन कंपनी (एनसीसी लि.) द्वारा कराया गया था। कार्य इतना घटिया किस्म का था कि ट्रायल के लिए टंकी में पानी भरा गया था जिसके बाद पानी की टंकी फट कर बिखर गई थी। यह घटना 25 अगस्त की थी। घटना का समाचार मीडिया की सुर्खियां बन गया।
जिसके बाद शासन स्तर से तत्काल कार्रवाई करते हुए जल निगम ग्रामीण के अधिशाषी अभियंता आलोक पटेल के बाद, सहायक अभियंता विनोद को भी निलंबित किया गया है। वहीं जेई रजनीश कुमार को बर्खास्त कर दिया गया है। हादसे से पांच दिन पहले ही सीतापुर पहुंचे सहायक अभियंता अखिलेंद्र को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। इसके अलावा टंकी बनाने वाली हैदराबाद की एजेंसी के खिलाफ जांच के आदेश दिए है। एनसीसी कंपनी पर त्वरित कार्यवाही न होने पर सवाल खड़े हो रहे हैं। कंपनी को ब्लैकलिस्ट न किए जाने पर स्पष्ट है कि कंपनी की पहुंच यूपी सरकार से भी ऊपर है। जिस कारण कंपनी की तमाम शिकायतें होने के बावजूद भी इतनी बड़ी घटना पर भी सरकार ने कोई ऐक्शन नहीं लिया!