शासनादेश ठेंगे पर, स्थानांतरण नियमावली का खुला उलंघन
हरदोई। जिले में तैनात रहे बीएसए वीपी सिंह बीते 15 दिनों से सरकारी गाड़ी व सीयूजी नंबर लेकर गायब हैं, जिस कारण जिले की बेसिक शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हो रही है, किंतु जिला प्रशासन अभी तक मूकदर्शक बना हुआ है। हालांकि यहाँ तबादला होकर आईं बीएसए रतन कीर्ति ने बीते 03 जुलाई को कार्यभार ग्रहण कर जैसे-तैसे अपना काम तो शुरू कर दिया पर शैक्षणिक कार्यों के संपादन में उन्हें काफ़ी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। इससे स्पष्ट है कि जिले में शासनादेशों की सरेआम धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं और इसमें जिला प्रशासन की भूमिका से भी इंकार नहीं किया जा सकता है, यही कारण है कि जिले के बेसिक शिक्षा विभाग की व्यवस्था चौपट हो रही है और जिम्मेदारों पर कोई फर्क पड़ता नजर नहीं आ रहा है। शासनादेश की बात करें तो तबादले के 07 दिनों के अंदर नवीन तैनाती पर कार्यभार ग्रहण करना अनिवार्य है।
ये है पूरा मामला:-
बेसिक शिक्षा अधिकारी वीपी सिंह का बीते 30 जुलाई को शासन स्तर से तबादला कर दिया गया था, किंतु जिले से हटाए जाने के बाद भी वे यहाँ से जाना नहीं चाह रहे हैं, उनके विरुद्ध भ्रष्टाचार की तमाम शिकायतों की वजह से नवीन तैनाती में कोई भी जनपद नहीं दिया गया। द टेलीकास्ट न्यूज़ से जुड़े सूत्रों की मानें तो पूर्व बीएसए द्वारा नवागंतुक बीएसए को चार्ज नहीं दिया जा रहा है, रिलीविंग पत्रावली को भी डीएम कार्यालय ने अभी तक पेंडिंग में ही रखा है। निवर्तमान बीएसए को रिलीव न किया जाना जिला प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है। सवाल ये भी है कि महिला सशक्तिकरण का दावा करने वाली सरकार में एक महिला अधिकारी को उसके पदीय दायित्वों के निर्वहन से आखिर क्यों वंचित किया जा रहा है? जबकि स्पष्ट है कि यहाँ बीएसए रहे वीपी सिंह पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं, इसी कारण शासन स्तर से लखनऊ मुख्यालय अटैच किया गया है। हालांकि भ्रष्टाचार की हनक पर बीएसए रहे वीपी सिंह जिला न छोड़ने की कसम सी खा रखी है, इसके लिए शायद वे शासन में हर कीमत भी देने को तैयार हैं, इसी कारण अपना जुगाड़ बनने तक जिला प्रशासन को साध रखा है, और शासन में जुगाड़ सेट करने के लिए वे 15 दिनों से गायब हैं। उनका यहाँ से रिलीव न किया जाना प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है। वर्तमान बीएसए रतन कीर्ति ने इस पूरे मामले से महानिदेशक स्कूल शिक्षा को पत्र के माध्यम से अवगत कराया है।
क्या है स्थानांतरण नियमावली:-
उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार के अधीन सेवारत कर्मचारियों और अधिकारियों को ट्रांसफर के 7 दिन या तय की गई तारीख तक अपनी नवीन तैनाती पर कार्यभार ग्रहण करना अनिवार्य होगा। यदि ट्रांसफर होने के बाद भी कोई अधिकारी अपने अधीन सेवारत कर्मचारी को कार्यमुक्त नहीं करता है या कोई कर्मचारी/अधिकारी 7 दिन या नियत तारीख तक नवीन तैनाती पर कार्यभार ग्रहण नहीं करता है तो इसे अनुशासनहीनता मानते हुए कार्रवाई की जाएगी।
रिपोर्ट: हरिश्याम बाजपेयी