कान्वेंट स्कूलों में दाखिले का सपना तो दिखाया पर दी फूटी कौड़ी भी नहीं…
हरदोई: जनता के हित और कल्याण के नाम पर यूपी की सत्ता हासिल करने वाली भाजपा सरकार गरीबों की भावनाओं से खिलवाड़ कर रही है। हम बात कर रहे हैं उन गरीब बच्चों की जिन्हे निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत कान्वेंट स्कूलों में दाखिले के सरकार ने सपने दिखाए हैं। आरटीई के तहत शिक्षा प्राप्त कर रहे बच्चों का हर वर्ष जैसे तैसे दाखिला तो हो हो जाता है, पर सरकार से मिलने वाली सहायता राशि नहीं दी जाती, जिस कारण गरीब अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल ड्रेस, पाठ्य पुस्तक आदि खरीद पाने में असमर्थ रहते हैं, इस कारण आरटीई के तहत शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चों से कान्वेंट स्कूल का प्रबंधन भी भेदभाव करता है।
शासनादेश पर गौर करें तो पात्रता वाले अलाभित समूह व दुर्बल वर्ग के बच्चों को गैर सहायतित व मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में आरटीई के तहत दाखिले के बाद बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा पाठ्य पुस्तक व दो सेट यूनिफार्म के लिए 05 हजार रुपये सहायता का प्रावधान है। जबकि जनपद हरदोई में 2020-21 में चयनित बच्चों को अभी तक पूर्ति शुल्क भुगतान नही किया गया है।
अभिभावकों का कहना है कि निजी स्कूलों का कोर्स इतना महंगा हो गया है कि 5000 हजार रुपए में न तो कांपी किताबें मिलेगी न ही यूनिफॉर्म। जबकि सरकार ने बीते 04 साल से एक फूटी कौड़ी भी नहीं दी है। द टेलीकास्ट को प्रेषित एक शिकायत के जवाब में हरदोई के बीएसए वीपी सिंह का कहना है कि राज्य स्तर से बजट नहीं प्राप्त हुआ है, बजट आने पर भुगतान की कार्यवाही नियमानुसार की जायेगी।
रिपोर्ट: हरिश्याम बाजपेयी