सेंट जेम्स, जयपुरिया, सेंट जेवियर्स समेत कई स्कूलों ने पिछले वर्ष ही फीस बढ़ाई थी, इस वर्ष फिर 10% फीस में बढ़ोत्तरी!
हरदोई: निजी स्कूलों में फीस वृद्धि व अभिभावकों को गैर एनसीईआरटी प्राइवेट प्रकाशन की बिना बिल की महंगी किताबें बेचने तथा बस फीस के सम्बन्ध में आज अभिभावक संघ ने जिलाधिकारी के समक्ष विभिन्न मांगे रखकर उन पर त्वरित कार्यवाही किए जाने की मांग की, अभिभावक संघ ने जारी पत्र में बताया है कि जनपद के सभी निजी स्कूलों में अभिभावकों से स्कूलों द्वारा विभिन्न प्रकार से नियम विरुद्ध फीस बढ़ाकर तथा अभिभावकों को गैर एनसीईआरटी प्राइवेट प्रकाशन की महंगी किताबें लेने को मजबूर करके अभिभावकों को लूटा जा रहा है। उ०प्र० स्ववित्तपोषित विद्यालय शुल्क विनियमन विधेयक 2018 के अनुरूप जिला शुल्क नियामक समिति द्वारा अनावश्यक रूप से और नियम विरुद्ध शुल्क बढ़ाने वाले विद्यालयों की फीस वृद्धि पर रोक लगाई जाये और उन पर विधेयक के अनुरूप दण्ड लगाकर कठोर कार्यवाही की जाये।
ज्ञात हो कि उक्त विधेयक में कोई भी निजी स्कूल केवल जिला शुल्क नियामक समिति को अवगत कराकर ही फीस वृद्धि कर सकता है और ये वृद्धि अधिकतम सीपीआई (2.57%) + 5% तक ही मान्य है। लेकिन सेंट जेम्स, जयपुरिया, सेंट जेवियर समेत अन्य कई स्कूलों ने पिछले वर्ष ही फीस बढ़ाई थी और इस बार पुनः 10% फीस में बढ़ोत्तरी कर दी है जो की अवैध है।सीबीएसई के सर्कुलर 16 a/2017/1335026 में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि सीबीएसई के सभी स्कूल केवल एनसीईआरटी की किताबें ही चलाएंगे इसके बावजूद जनपद के सभी स्कूल कक्षा 9 से पहले के सभी क्लास में प्राइवेट प्रकाशन की महंगी किताबें खरीदने के लिए अभिभावकों को मजबूर कर रहे है, उ० प्र० स्ववित्तपोषित विद्यालय शुल्क विनियमन विधेयक 2018 के अनुसार स्कूल प्रति तीन वर्ष में पाठ्यक्रम बदल सकते हैं लेकिन ज़्यादातर स्कूलों ने इस बार भी प्रत्येक क्लास की किताबें बदल दी हैं, जिन पर रोक लगायी जाए।
पिछले वर्ष स्कूलों द्वारा पेट्रोल डीजल वृद्धि का हवाला देकर लगभग 300 से 400 तक बस फीस बढ़ायी गई थी लेकिन पिछले दिनों में पेट्रोल एवं डीजल के दाम काफी कम हुए हैं जिस कारण स्कूलों द्वारा संचालित करवायी जा रही स्कूल बसों की फीस भी कम की जानी चाहिए थी परंतु किसी भी स्कूल द्वारा ऐसा यही किया गया। अभिभावक संघ ने मांग की है कि बसों की पिछले साल की फीस वृद्धि वापस ली जाए, जनपद के सभी पुस्तक विक्रेता केवल नकद रुपये लेकर ही कॉपी किताबों का बंडल खरीदने के लिए अभिभावकों को बाध्य कर रहे हैं साथ ही किसी प्रकार का जीएसटी युक्त पक्का बिल भी नही दे रहे हैं, जिससे एक तरफ सरकार के डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के नारे पर पलीता लग रहा है, दूसरी ओर बिल न देकर जिला प्रसाशन की नाक के नीचे खुले आम टैक्स चोरी की जा रही है, जिस पर तत्काल अंकुश लगाकर दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की जाए।
-द टेलीकास्ट न्यूज़